शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2009

जुर्म कभी बेनिशाँ नहीं होता...

किसी जमाने में पाटलिपुत्र के नाम से विख्यात, आज की पहचान पटना यूँ तो हमेशा से ही बिहार की राजधानी से कुछ अधिक ही रहा है...पर वक्त बेवक्त होने वाले काली घटनाओं से इसकी छवि पर दाग लगता ही रहता है....
हर आम दिनों की ही तरह पटना की जिंदगी अपनी रफ़्तार से चल रही थी कि अचानक पटना के इंडस्ट्रियल एरिया पटना सिटी में पाँच मजदूरों की हत्या की ख़बर से पूरे माहौल में एकाएक सरगर्मी आ गई....जो ये अंदेशा दे रही थी फ़िर से कहीं जुर्म ने हुंकार भर दी है....
तह्कीकाती रिपोर्टर्स के अनुसार १९ फ़रवरी के दिन पटना सिटी में स्थित मगध आइरन टी.एम.टी सरिया के फैक्ट्री में सुबह तक़रीबन ९ बजे पाँच मजदूरों के नाजुक अवस्था में होने की ख़बर आई, ख़बर आते ही पूरा मैनेजमेंट सकते में आ गया. जल्दबाजी में जैसे तैसे पांचों को पास के ही पटना मेडिकल कालेज हास्पिटल में भरती किया गया...जहाँ उनकी मौत हो गई...उनके मौत की ख़बर फैलते ही कंपनी के मजदूरों में रोष पैदा हो गया...वे इसे हत्या का मामला करार देने लगे...
ज्योंही यह ख़बर उनको परिजनों को हुई वे वहां पहुच गए....और इनके हत्या का आरोप कंपनी के ही मैनेजर पर लगाने लगे...साथ ही उनका यह भी कहना था कि उन्हें मौत के घाट उतारने के बाद मैनेजर और उनके साथी इनके लाश को ठिकाने लगाने ले ही जा रहे थे कि वे पहुच गए और मामला खुल गया..वरना वे अपनी इस करतूत से साफ़ साफ़ बच निकलते...पाँच-पाँच मजदूरों की एकसाथ मौत से कंपनी प्रशासन भी एकबारगी सकपका गया है..
जब हमारे रिपोर्टर्स ने उनसे इस घटना के बाबत बात करनी चाही तो वे यही कहते रहे कि...यह महज एक दुर्घटना है...कृपया इसे हत्या का रूप न दें...इसमें किसी कंपनी अधिकारी कि संलिप्तता नहीं है...जिस मैनेजर पर आरोप लगाया जा रहा है उसका कहना है कि इनकी हत्या नहीं की गई है..बल्कि इनकी मौत हुई है...पर असल गुत्थी तो यह है कि आख़िर इनकी मौत हुई कैसे..इस सवाल को वो टाल गया...
हर बार की तरह जैसे ही इस घटना की ख़बर फैली, पुलिस अपने ड्यूटी पर हाजिर हो गई और अपनी रूटीन कार्रवाई के बाद मामले की छानबीन में लग गई...उधर गुस्साए परिजनों ने पुलिस के सामने ही उस मैनेजर को पीटना शुरू कर दिया..जैसे-तैसे पुलिस के बीच बचाव से उसे छुडाया गया....
तो, दोस्तों जुर्म तो हो चुका है...कंपनी प्रशासन लाख यह कहे कि इनकी हत्या नहीं मौत हुई है...पर अगर लोग बाग़ हत्या का आरोप लगा रहे हैं तो जरुर इसके पीछे कोई न कोई ठोस वजह तो होगी ही..।
अब बारी है पुलिसिया तह्क़ीक़ात की, जो शुरू हो चुकी है... वैसे तो इस घटना ने पुलिस को भी चकरा दिया है...पर अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो...पुलिस उसे उसके अंजाम तक पंहुचा ही देती है.. क्योंकि...
जुर्म कभी बेनिशाँ नहीं होता...
तहकीकात जारी है....

आलोक सिंह "साहिल"

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